पित्ताशय की पथरी और उपचार के विकल्प
पित्ताशय की पथरी क्या है?
पित्ताशय की पथरी (Gallstones) ठोस कण होते हैं जो पित्ताशय (Gallbladder) के अंदर बनते हैं।
पित्ताशय एक छोटा नाशपाती के आकार का अंग है जो यकृत (Liver) के नीचे स्थित होता है और पित्त (Bile) को जमा करता है। पित्त वसा को पचाने में मदद करता है।
जब पित्त के घटकों (कोलेस्ट्रॉल, पित्त लवण और अपशिष्ट पदार्थ) का संतुलन बिगड़ जाता है, तो छोटे-छोटे क्रिस्टल बनने लगते हैं, जो धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं।
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कारण और जोखिम कारक
पित्ताशय की पथरी बनने के मुख्य कारण:
पित्त में अधिक कोलेस्ट्रॉल
पित्ताशय का ठीक से खाली न होना (पित्त का ठहर जाना)
अधिक बिलीरुबिन का उत्पादन (लिवर रोग या खून की कुछ बीमारियों में)
जोखिम कारक:
महिलाएं (विशेषकर 40 वर्ष के बाद)
मोटापा या तेजी से वजन कम होना
अधिक वसा और कम रेशे वाला भोजन
परिवार में पथरी का इतिहास
गर्भावस्था
कुछ रोग (जैसे डायबिटीज, लिवर रोग, खून की कमी वाली बीमारियां)
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लक्षण
कई लोगों में साइलेंट गॉलस्टोन होते हैं — जिनमें कोई लक्षण नहीं होते और यह अल्ट्रासाउंड में संयोगवश पता चलता है।
लक्षण होने पर इनमें शामिल हैं:
अचानक, तीव्र दर्द ऊपरी दाहिने या बीच के पेट में (बिलियरी कोलिक)
दर्द का पीठ या दाहिने कंधे तक फैलना
मतली या उल्टी
भारीपन, अपच या तैलीय भोजन से परेशानी
यदि पथरी पित्त के प्रवाह को रोक दे, तो गंभीर समस्याएं हो सकती हैं:
कोलिसिस्टाइटिस (पित्ताशय की सूजन)
पीलिया (त्वचा/आंखों का पीला होना)
पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय की सूजन)
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जांच
अल्ट्रासाउंड – पित्ताशय की पथरी पहचानने की सबसे बेहतर जांच
खून की जांच – लिवर या पैंक्रियास की सूजन पता करने के लिए
सीटी स्कैन / MRCP – जटिल या संदिग्ध मामलों में
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उपचार के विकल्प
उपचार इस पर निर्भर करता है कि लक्षण हैं या नहीं, पथरी का आकार, और जटिलताएं हैं या नहीं।
1. निगरानी (Observation)
यदि पथरी के लक्षण नहीं हैं, तो अक्सर तुरंत इलाज की जरूरत नहीं होती।
नियमित जांच कराना जरूरी है।
2. दवाइयां
यूरसोडिऑक्सिकोलिक एसिड जैसी दवाएं छोटी कोलेस्ट्रॉल पथरी को घोल सकती हैं।
असर धीरे-धीरे होता है (महीनों से सालों में) और दोबारा पथरी बन सकती है।
अक्सर उन मरीजों में दी जाती हैं जो सर्जरी नहीं करा सकते।
3. सर्जरी (Cholecystectomy)
लैप्रोस्कोपिक कोलिसिस्टेक्टॉमी: छोटे चीरे के साथ आधुनिक तकनीक, जल्दी रिकवरी (सबसे आम तरीका)।
ओपन सर्जरी: जटिल मामलों में या जब लैप्रोस्कोपी संभव न हो।
पित्ताशय निकालने से आमतौर पर लंबे समय में पाचन पर असर नहीं पड़ता।
4. बिना सर्जरी के पथरी निकालना
ईआरसीपी (ERCP): पित्त नलिका से पथरी निकालने की एंडोस्कोपिक तकनीक, अक्सर सर्जरी के साथ की जाती है।
शॉक वेव लिथोट्रिप्सी: दुर्लभ तरीका, जिसमें पथरी को टुकड़ों में तोड़ा जाता है।
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जीवनशैली और बचाव
इलाज के बाद भी पाचन को स्वस्थ रखने के लिए:
संतुलित आहार लें, जिसमें रेशा ज्यादा और वसा कम हो
स्वस्थ वजन बनाए रखें
तेजी से वजन कम करने से बचें
नियमित व्यायाम करें
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तुरंत डॉक्टर से कब मिलें
यदि ये लक्षण हों तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें:
पेट में तेज दर्द जो कई घंटों तक रहे
बुखार और ठंड लगना
पीलिया
लगातार उल्टी
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संक्षेप में:
पित्ताशय की पथरी आम है और कई बार हानिरहित होती है, लेकिन लक्षण या जटिलताएं होने पर समय पर उपचार — विशेषकर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी — से पूरी तरह आराम मिल सकता है।
शुरुआती पहचान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से गंभीर समस्याओं से बचाव संभव है।
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